संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-चीन विवाद पर दिया बयान

चीन (China) भारत (India) के खिलाफ जोर शोर से साजिश कर रहा है। इसी बीच जब संसद का मॉनसून सत्र ( Monsoon Session) शुरू हुआ, तब सबकी नजरें वही बनी हुई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुद्दे पर जमकर बहस होगी। पूरा देश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर टकटकी लगाए है। रक्षा मंत्री (Defence Minister) ने भी चीन विवाद को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की।

गुरुवार को मानसून सत्र का चौथा दिन है। उसमें रक्षा मंत्री Rajnath Singh  ने राज्यसभा में चीन विवाद को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह विवाद अभी अनसुलझा है। 15 जून को कर्नल संतोष बाबू ने 19 बहादुर सैनिकों के साथ देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। प्रधानमंत्री सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए लद्दाख गए।

उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति बहाल करने के लिए कई समझौते हुए लेकिन चीन औपचारिक सीमाओं को नहीं मानता। सदन इस बात से अवगत है कि यह प्रश्न अभी अनसुलझा है। उन्होंने देश से यह बताया कि भारत और चीन की Boundary का customary और traditional allingment चीन नहीं मानता है।

उन्होंने कहा कि यह सीमा रेखा अच्छे से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है। चीन ने लद्दाख में अनाधिकृत कब्जा कर रखा है। भारत की 38000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन के कब्जे में है। वहीं पाकिस्तान ने पीओके की 5180 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को सौंप दी है। इसके अलावा 90000 वर्ग किमी पर चीन दावा करता है।

उन्होंने साफ तौर पर बता दिया कि दोनों देशों के मत अलग अलग होने के कारण शांति बहाल नहीं हो पा रही है। रक्षा मंत्री का बयान था कि देश का मस्तक झुकने नहीं देंगे। भारतीय सेना ने चीन को संयम और शौर्य दोनों दिखाए हैं। उन्होंने सदन के माध्यम से जवानों में ऊर्जा का संचार कर मनोबल बढ़ाने की अपील की।

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