First IAS: ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है , अल्लामा इक़बाल की गज़ल की ये लाईनें IAS प्रांजल पाटिल के पर चिरतार्थ होती हैं। जहां साधारण लोग कई प्रयासों में भी UPSC की परीक्षा नहीं निकाल पाते वहीं नेत्रहीन प्रांजल पाटिल ने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा पास कर के IAS (First IAS)अधिकारी बन गई हैं।
प्रांजल ने 14 अक्टूबर को तिरुवंतपुरम में सब कलेक्टर का चार्ज लिया। प्रांजल ने UPSC में 773वीं रैंक हासिल की है। प्रांजल ने लोगों के लिए मिशाल कायम की हैं, जहां लोग छोटी-छोटी परेशानियों से हार मान कर बैठ जाते हैं वहीं प्रांजल जैसे लोग परेशानियों को दरकिनार करते हुए अपनी कमजोरी को ताकत बना कर सफलता के नए आयाम गढ़ती हैं।
महराष्ट्रा के उल्लास नगर की रहने वाली प्रांजल की आंखो की रोशनी बचपन से ही कमजोर थी, 6 वर्ष की आयु में इन्होंने अपनी आंखों की रोशनी पूरी तरह से खो दी, लेकिन इतने बड़े बदलाव के बाद भी प्रांजल ने हार नहीं मानी और उन्होंने पढ़ाई जारी रखी, इनके पिता ने इनका एड्मीशन मुम्बई के कमला मेहता स्कूल में करा दिया, इस स्कूल अंधे बच्चों को ब्रेन लिपि में पढ़ाया जाता था। प्रांजल ने यहां से 10 वीं की परीक्षा पास की उसके बाद चंदा बाई कॉलेज से आर्ट में 12 वीं की 12 वीं में इनके 85 प्रतिशत अंक आए थे।
इन्होंने ग्रेजुएशन सेंटजेवियर्स कॉलेज किया, उसके बाद प्रांजल दिल्ली आ गईु, और आगे की पढ़ाई जेएनयू से पूरी की इसी दौरान इन्होंने सिविल सर्विसेज के बारे में एक लेख पढ़ा और 2015 में UPSC की तैयारी करने लगी। प्रांजल ने UPSC की तैयारी के लिए किसी भी तरह की कोचिंग क्लास नहीं ली पहले ही प्रयास में 2017 में UPSC की परीक्षा पास करके पहली नेत्रहीन IAS अधिकारी बन गई।
भारत की पहली महिला नेत्रहीन IAS
ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है कि कोई अपनी कमजोरियों को अपने मजबूत इरादों के आगे इतना बौना बना देता है कि वहीं कमजोरी उसकी ताकत बन जाती प्रांजल इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं।