Corona Delta Plus Variant : क्या हैं कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के लक्षण, जाने कैसे बचा जाए डल्टा प्लस वैरिएंट से ?

Corona Delta Plus Variant

Corona Delta Plus Variant : भारत में कोरोना (Covid-19) वायरस की दूसरी लहर के बाद अब फिर से कोरोना का नया रूप डेल्टा प्लस ने दस्तक दे दी है। कई राज्यों में कोरोना के इस नए वैरिएंट (Corona Delta Plus Variant) के मामले सामने आए हैं। भारत में अभी तक लगभग 50 मामले सामने आ चुके हैं। दुनिया के 11 देशों में ये वैरिएंट अपनी दस्तक दे चुका है। ऐसे में इससे बचाव के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ-साथ कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के बारे में जानना बहुत जरूरी है।

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 11 देशों तक फैल चुका है Corona Delta Plus Variant

कोरोना वायरस (Coronavairus) का डेल्टा वैरिएंट जिसे B.617.2 कहा जाता है, यह म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस या AY.1 में भी तब्दील हो गया है। यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में पाया गया है, जिसकी वजह से मेडिकल एक्सपर्ट्स (medical experts) की चिंता बढ़ रही है। डेल्टा वैरिएंट (Corona Delta Plus Variant) की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने का कारण डेल्टा प्लस वैरिएंट बना है। यही K417N दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के बीटा वैरिएंट और ब्राज़ील में पाए गगए गामा वैरिएंट में भी मिला है। ख़ैर, वैज्ञानिक जीनोम अनुक्रमण (genome sequencing) के जरिए लगातार नजर बनाए हुए हैं। इसके बारे में और जानकारी जल्द ही सामने आ सकती है।

सिरदर्द, गले में ख़राश और नाक बहना Corona Delta Plus Variant आम लक्षण है

कोरोना के इस नए वैरिएंट से बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रूस में प्रतिनिधि मेलिता वुजनोविक ने बताया कि वैक्सीनेशन (vaccination) प्लस मास्क, क्योंकि डेल्टा से निपटने के लिए सिर्फ वैक्सीन ही काफी नहीं है। हमें एक छोटे समय के दौरान प्रयास करने होंगे, नहीं तो हमें फिर से लॉकडाउन (lockdown) लागू करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन जरूरी है, क्योंकि ये वायरस के फैलने की संभावना और संक्रमित (infected) होने पर मरीजों को गंभीर स्थिति में पहुंचने के खतरे को कम करता है। हालांकि, हमें साथ ही साथ अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी।

कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट, डेल्टा वेरिएंट (Delta Plus Variants, Delta Variants) से निकला है, और इसमें k417n mutation नाम का स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन (spike protein mutation) होता है। ये स्पाइक प्रोटीन दक्षिण अफ्रीका में पहली बार मिले बीटा वेरिएंट (Beta variant) में भी मिला था। स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) के अनुसार डेल्टा प्लस ज्यादा आक्रामक है और फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर (receptor of lung cells) से मज़बूती से चिपकने में सक्षम है। जिसकी वजह से इसमें फेफड़ों को जल्द नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। यह आपकी इम्यूनिटी को चकमा देने में सक्षम है।

Corona Delta Plus Variant की पहचान

जो लोग डेल्टा प्लस वैरिएंट (Corona Delta Plus Variant) की चपेट में आए हैं, उन्हें गंभीर खांसी-ज़ुकाम और कोल्ड सिम्टम्स पिछले वायरस से काफी अलग पाया जा रहा है। अध्ययन के अनुसार सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना डेल्टा प्लस वैरिएंट से जुड़े सबसे आम लक्षण हैं। कोरोना वायरस के पिछले दोनों वैरिएंट की तरह इस बार भी जरूरी सावधानियां बरतनी होंगी।

  • घर से बाहर तभी निकलें जब बहुत जरूरी हो।
  • घर से निकलनें पर मास्क जरूर लगाएं।
  •  हाथों को दिन में बार बार धोएं
  • लोगों से 6 फीट की शारीरिक दूरी बना कर रखें।
  • बाहर से घर आने पर अपने आपको और अगर सामान लाए हों तो सामान को भी डिसइंफेक्ट करें।
  • घर के आस पास की जगहों को साफ रखें और डिसइंफेक्ट करें।

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