Chaitra Navratri 2022: 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्रि, पहले दिन होती है मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा

Chaitra Navratri 2022

Chaitra Navratri 2022: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 2 अप्रैल यानी शनिवार से शुरू हो रही है। हिंदू धर्म के अनुसार एक साल में चार नवरात्रि आती है। एक शारदीय नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्री और दो गुप्त नवरात्री। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की अराधना की जाती है। देशभर के मंदिरों में नवरात्रि के नौ दिनों में भक्तों का तांता लगा होता है।

Chaitra Navratri 2022: 9 दिनों तक माता के 9 रूपों की होगी अराधना

ये भी पढ़ें- UP CM Yogi New Order: प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, यूपी में मनचलों की अब खैर नहीं

Chaitra Navratri 2022
Chaitra Navratri 2022

2 अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि में भक्त व्रत और मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करके मां दुर्गा के विशेष कृपा प्राप्त करते हैं। 2 अप्रैल से पूरे 9 दिनों तक मां की विधिविधान के साथ पूजा की जाती है। जिससे मां दुर्गा प्रसन्न हों और अपने भक्तों के दुखों को हर लें। अगले 9 दिनों तक चारों और का माहौल भक्तिमय हो जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा होती है।

Chaitra Navratri 2022: जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के पहले दिन लोग अपने घरों में कलश या घट स्थापित करते हैं। जिसके बाद 9 दिनों तक माता की उपासना और विशेष पूजा की जाती है। कलश स्थापना या घट स्थापना का घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 04 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक शुभ का चौघडिया रहेगा। कुल अवधि 25 मिनट की है।

Chaitra Navratri 2022: ऐसे करें घटस्थापना

Chaitra Navratri 2022
Chaitra Navratri 2022

घट स्थापना करने के लिए सबसे पहले आप नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।उसके बाद अपने मंदिर की साफ-सफाई करते हुए उसे गंगाजल से शुद्ध करें और मंदिर को पुष्प और लाइटों से सजाएं। पूजा में सभी देवी -देवताओं को आमंत्रित करें।

घट स्थापना से पहले भगवान श्री गणेश की अराधना करें। उसके बाद मंदिर के पास एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और चौकी के  बीच में अक्षत की ढेरी बनाएं और उसके ऊपर कलश की स्थापना करें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसके ऊपरी सिरे पर मोली बांधें। इसके बाद कलश में साबुत, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, दूर्वा, अक्षत और आम का पत्ते डालें। एक कच्चा नारियल लें कर उसके ऊपर चुनरी लपेटें। इस नारियल को कलश के ऊपर रख दें। इसके बाद देवी मां का आवाहन करें। मां दुर्गा की पूजा करें।

खबरों के साथ बने रहने के लिए प्रताप किरण को फेसबुक पर फॉलों करने के लिए यहां क्लिक करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *