बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा ‘तबलीगी जमात’ को बलि का बकरा बनाया गया था

महाराष्ट्र – जिस वक्त कोरोना वायरस भारत में अपनी जड़ें फैला रहा था उस वक्त मार्च के महीने में दिल्ली के निजामुद्दीन (Nizamuddin) इलाके में तबलीगी जमात (Tablighi Zamaat) से जुड़े कई विदेशी और भारतीय नागरिक हजारों की संख्या में पाए गए थे। जिसके बाद देश के हर न्यूज़ चैनल और अखबार में जमातियों को कोरोना वायरस फैलाने का कारण बताने की कोशिश की गई है और उनके खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश की गई। आज बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) की औरंगाबाद बेंच ने तबलीगी जमात पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया गया है, और कहा है कि मीडिया ने उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया और उनको बलि का बकरा बनाने की कोशिश की।

बेंच के जस्टिस टीवी नलवाडे (Justice TV Nalvaade) और जस्टिस एमजी सेवलिकर (Justice MG sevlikar) की बेंच ने कहा, “जब महामारी या बड़ी त्रासदी होती है तो सरकार बलि का बकरा ढूंढ़ने की कोशिश करती है और हालात बता रहे हैं कि इस बात के आसार हैं कि इन विदेशियों और जमात के लोगों को भी बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया। वहीं इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने इन लोगों को ही संक्रमण का जिम्मेदार बताने का प्रोपेगेंडा चलाया।”   जिसके कारण एक समुदाय को नफरत का सामना करना पड़ा। इसके बाद कोर्ट ने देश विदेश के सभी जमातियों पर FIR रद्द कर दी।

कोर्ट ने क्या कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली के मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा प्रोपेगेंडा चलाया गया। ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई, जिससे भारत में फैले कोविड 19 संक्रमण का जिम्मेदार इन विदेशी लोगों को ही ठहराया जा सके। तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया।

इसी मामले पर कोर्ट ने ये भी कहा कि अब भारत में संक्रमण के ताज़े आंकड़े बताते हैं कि याचिकाकर्ताओं के ख़िलाफ़ ऐसे ऐक्शन नहीं लिए जाने चाहिए थे। विदेशियों के ख़िलाफ़ जो ऐक्शन लिया गया, उस पर पश्चाचाताप करने और क्षतिपूर्ति के लिए पॉजिटिव कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसलिए एफआईआर को रद्द कर देना ही सही निर्णय है।

 

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