उत्तराखंड के इतिहास का काला दिन 2 सितंबर

उत्तराखंड- 9 नवंबर 2000 को जब उत्तर प्रदेश से अलग होकर नया राज्य उत्तराखंड Uttrakhand बना लेकिन इसे नया राज्य बनाने की कवायद काफी पहले शुरू हो चुकी थी। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान कई क्रांतिकारियों ने अपनी जान भी गंवाई। इसी सिलसिले में 2 सितंबर 1994 को उत्तराखंड आंदोलन ( Uttrakhand Movement) के इतिहास का एक काला दिन है, जब मसूरी (Mussoorie) में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने गोलियां चला कर 6 आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतार दिया। इस पूरे प्रकरण में एक पुलिस के डीएसपी उमाकांत त्रिपाठी (DSP Umakant Tripathi) भी मारे गए, उनके लिए कहा जाता है कि वह आंदोलनकारियों पर गोलियां नहीं चलाना चाहते थे जिस कारण पीएसी जवानों ने उन्हें भी मार दिया।

मसूरी गोलीकांड (Mussoorie Golikand) के नाम से कुख्यात इस दिन उत्तराखंड राज्य के 6 आंदोलनकारियों ने अपनी जान गंवाई, जिसमें दो महिलाएं हंसा धनई (Hansha Dhanai) और बेलमती चौहान (Belmati chauhan) भी शामिल थी। अन्य 4 शहीद आंदोलनकारियों में बलवीर सिंह नेगी (Balbir Singh Negi) मदनमोहन ममगाई (Madanamohan Mamgai) रायसिंह बंगारी ( Raaysingh Bangari) और धनपत सिंह (Dhanpat Singh) शामिल थे। मसूरी गोलीकांड से ठीक 1 दिन पहले कुमाऊं Kumaon के उधम सिंह नगर जिले के खटीमा (Khatima Golikaand) में भी इसी तरह का गोलीकांड हुआ था। वहां भी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की थी। इन दो गोलीकांड ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को एक नई दिशा दी और लोग इसके प्रति और गंभीरता से इसमें भाग लेने लगे।

 

 

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