Barsane ki holi 2022: होली का त्योहार भारत में खास महत्व रखता है। होली का त्योहार हर वर्ग जाति धर्म और संप्रदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। रंगों के इस त्योहार का एक खास धार्मिक महत्व है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने पड़ने वाला होली का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि कृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में राधारानी ठाकुर जी के साथ फूलों से होली खेलती हैं।
11 मार्च को जानी-मानी लठमार (Barsane ki holi 2022) होली का होगा आयोजन
देश विदेश लोग ब्रज में होली खेलने के लिए आते हैं। ब्रज (vrindavan holi 2022) के विशेष होली महोत्सव 10 मार्च से शुरू होंगे, जिसमें सबसे पहले 10 मार्च को लड्डू होली (Laddu Holi) का आयोजन किया जाएगा और 11 मार्च को बरसाने (Barsana Holi) में लठमार होली (lathmar holi) का आयोजन होगा। हर साल होली से कुछ दिन पहले रंगीली गली (Rangili Gali) में लट्ठमार होली का आयोजन होता है। माना जाता है कि रंगीली गली वही गली है, जहां द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत की थी।
10 मार्च को मनाई जाएगी बरसाना (Barsane ki holi 2022)में लड्डू होली
लट्ठमार होली की शुरुआत राधारानी और श्रीकृष्ण के समय से मानी जाती है। मान्यता है कि नंदगांव (mathura holi 2022)में रहने वाले कान्हा अपने सखाओं को साथ लेकर राधा और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने के लिए बरसाना जाया करते थे। उसके बाद वे राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करते थे। जिससे परेशान होकर राधा और उनकी सखियां राधारानी अपनी सखियों के साथ मिलकर उन पर लाठियां बरसाया करती थीं। उनके वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके सखा ढालों प्रयोग करते थे। धीरे-धीरे उनका ये प्रेमपूर्वक होली खेलने का तरीका परंपरा बन गया। तब से आज तक इस परंपरा को निभाया जा रहा है।
दरअसल माना जाता है कि लड्डू होली का आयोजन द्वापर युग से ही होता चला आ रहा है। सुबह पहले बरसाना की राधा न्योता लेकर नंद भवन पहुचंती है। जहां उस सखी रुपी राधा का जोरदार स्वागत किया जाता है। जिसके बाद वह नंद गांव से शाम के समय पन्डा रूपी सखा को राधा रानी के महल में भेजते हैं। जो होली के निमंत्रण को स्वीकार कर बताने आते हैं। जहां पर के गोस्वामी समाज लड्डुओं से उसका स्वागत करते हैं। इसी को लड्डू होली कहा जाता है।
श्रीजी मन्दिर के कपाट खुलते ही मंदिर में लड्डू मार होली का उत्सव शुरू हो जाता है। भक्त श्रीजी के दर्शन कर उन्हें गुलाल और लड्डू अर्पित करते हैं, नंदगांव से कृष्ण स्वरूप शाखा सज धज कर बरसाने होली मनाने आते हैं। गोस्वामी बूंदी के लड्डू से उनका स्वागत करते है। चारों तरफ से लड्डूओं की बरसात होने लगती है। और लड्डुओं को लूटने के लिए असंख्य लोगों के हाथों उपर खड़े हो जाते हैं। उस लड्डू को लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बरसाना लड्डू मार होली देखने के लिए आते हैं। दोपहर होते ही भक्तों का मेला श्रीजी मंदिर में जुट जाता है और हाथ ऊपर उठाए राधे राधे की रट लगाए कपाट खुलने का इंतजार करते हैं