Babasaheb Ambedkar Jayanti: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती पर जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन एच.ए. एल. लखनऊ के मुख्य ने किया । आज आयोजित हुए जन-जागरूकता कार्यक्रम में मौजूद मुख्य अतिथि राकेश मिश्रा, महाप्रबंधक एच ए एल ने लोगों को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में मुख्य अतिथि राकेश मिश्रा ने कहा कि आज 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती है। देश में सरकारी दफ्तरों में और आम जनता अपने-अपने तरीके से अंबेडकर जयंती मनाती है।
Babasaheb Ambedkar Jayanti: महाप्रबंधक एच ए एल ने लोगों को संबोधित किया
इसके साथ ही आगे कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उनका मूल नाम भीमराव था. अंबेडकर के पिता रामजी वल्द मालोजी सकपाल महू में ही मेजर सूबेदार थे। अंबेडकर का परिवार मराठी था और वो मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबडवेकर गांव ताल्लुक रखते थे। मां का नाम भीमाबाई सकपाल था।
अंबेडकर के पिता कबीर पंथी थे। महार जाति के होने की वजह से अंबेडकर के साथ बचपन से ही भेदभाव शुरू हो गया था। उन्हें प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ा, लेकिन इन सबके बावजूद भी अंबेडकर ने न केवल उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि, स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बनें।
आज के कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में रिटायर्ड आर्मी अधिकारी कृष्ण गोपाल ने कहा कि बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन देश के नाम अर्पित कर दिया था। डॉ0 भीमराव अंबेडकर समाज में दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। अंबेडकर के विचारों ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया और उनके विचारों पर चलकर कई युवाओं की जिंदगी बदली है।
Babasaheb Ambedkar Jayanti: क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी जय सिंह ने अतिथियों का किया स्वागत
आज के कार्यक्रम में विभाग के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी जय सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा की भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर का कहना था कि शिक्षित बनो और संघर्ष करो। डॉ. आंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत, समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता और आधुनिक राष्ट्र के शिल्पकार थे। उनके सामाजिक समानता के मिशन के केन्द्र में समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाएं थीं, जिन्हें वे शिक्षा और संघर्ष से सशक्त बनाना चाहते थे।
उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य था समाज के शोषित वर्गों को न्याय दिलाना, जिसके लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।
Babasaheb Ambedkar Jayanti: क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी जय सिंह ने किया डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद
दरअसल, उनकी कल्पना के समाज की रूपरेखा समता और बन्धुत्व की नींव पर आधारित थी। उन्होंने समाज में विद्यमान रूढ़िवादी मान्यताओं और विषमताओं को समूल नष्ट करने का स्वप्न देखा। वे सबसे वंचित तबको को समाज की अग्रिम पंक्ति पर सक्षम देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने आजीवन प्रयत्न किया।
डॉ. भीमराव आंबेडकर उन नियमों को खुली चुनौती देते थे, जिनके पीछे कमजोर वर्ग के अधिकारों का हनन हो रहा था। वे एक व्यवाहारिक एवं यथार्थवादी चिंतक थे। उन्होंने ऐसे समाज की रूपरेखा तैयार की जिसमें व्यक्ति एवं समूह को समाज में एक छोर से दूसरे छोर तक गमनागमन की पूरी छूट हो। समाज के सभी तबको को शिक्षा, आत्मविकास एवं रोजगार के समान अवसर उपलब्ध हो, लोगों को विचार अभिव्यक्ति करने की पूर्ण स्वतन्त्रता हो। समाज के कमजोर वर्ग को भी निर्भीक नेतृत्व मिले, ताकि समाज के सार्वभौमिक विकास में सबका साथ और सबका विकास संभव हो सके।
Babasaheb Ambedkar Jayanti: प्रश्नोत्तरी और वाद विवाद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
इस अवसर पर मौजूद लोगों के बीच प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कर उन्हें उनकी रचनात्मकता और उज्ज्वल भविष्य के प्रति प्रोत्साहित किया गया। प्रतियोगिताओं में 10 विजयी प्रतिभागियों को विभाग ने पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया।
इस मौके पर गौरव कुमार, फुलबन, रमेश, डॉ एसपी सिंह, डॉ सुशील कुमार मुन्ना. प्रमोद, धर्मेन्द्र कुमार, अनूप कुमार, महेंद्र सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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