वाशिंगटन : राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका में अब तक दो सियासी दल लगभग 54 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। यह खर्च राशि 2016 के चुनाव में खर्च हुए 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। ऐसे में अनुमान है कि इस बार चुनाव का खर्च 88 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
CPR देख रही है फंडिंग
चुनावी खर्च की निगरानी करने वाली संस्था Central For Responsive Politics (CPR) की CEO शीला क्रूमोलज ने मीडिया को बताया कि मिड टर्म्स चुनाव 2018 में रिकॉर्ड तोड़ फंडिंग देखी थी। 2020 की ऐसी फंडिंग की कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। चुनावों में इतनी ज्यादा फंडिंग ने हमारी उम्मीदों को कुचल दिया है।
अमेरिकी इतिहास का सबसे महंगा चुनाव
2020 में अमेरिकी चुनाव इतिहास का सबसे महंगा चुनाव होगा। इसमें करीब 1 महीने बचे हैं, फाइनल वोटिंग में। क्या यह भविष्य के चुनाव का न्यू नॉर्मल है। गौरतलब है कि आखरी वोटिंग 3 नवंबर को होनी है
अमेरिकी में चुनाव का अनुमानित खर्च
2008 में 46 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
2012 में 51 हजार करोड़
2016 में 50 हजार करोड़
2020 में 88 हजार करोड़ खर्च होने हैं।
8% बढ़ गई है छोटे दानदाताओं की संख्या
महिलाएं 2020 के इस चुनाव में 12.4 हजार करोड़ रुपए दान कर चुकी है 2016 में महिलाओं ने 9.5 हजार करोड़ रुपए का चंदा दिया था।
$200 से कम राशि दान करने वाले दानदाताओं की संख्या 2016 की तुलना में 8 परसेंट बढ़कर 22 परसेंट पहुंच गई है।
छोटे डोनर ने बाईडेन को 472 करोड रुपए की राशि दी है वही ट्रंप को इस समूह से महज 122 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।
बड़ी कंपनियों के 15 सीईओ ने ट्रंप को 19 हजार करोड़ रुपए का चंदा दिया है और बाईडेन को 30 कंपनियों के सीईओ ने महल 4 करोड़ रुपए दिए हैं।
डिजिटल एड कैंपेन में बाइडेन आगे
सीआरपी ने नोटिस किया है कि डिजिटल एड के जरिए लोग वोटर्स तक पहुंच रहे हैं और वोटर को खर्च करने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।
वहीं वेस्लियन मीडिया प्रोजेक्ट की स्टडी बताती है कि डिजिटल माध्यम से खर्च करने के मामले में बाईडेन की टीम ट्रंप से आगे हैं।
बाइडेन ने सितंबर में टीवी एड के जरिए 668 करोड रुपए खर्च किए हैं वही ट्रंप ने 299 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।