Akhilesh met Jayant: जब अखिलेश से मिले जयंत, गठबंधन पर मंथन तेज

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Akhilesh met Jayant: यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) का समय जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसी सियासी पार्टियों की रणनीति तेज होती जा रही है। सियासी सरगर्मियों के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रालोद नेता जयंत चौधरी (RLD Leader Jayant Chaudhary) से मुलाकात की है। इस मुलाकात को लेकर कई तरह से कयास लगाए जा रहे हैं।

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Akhilesh met Jayant:  गठबंधन को लेकर मंथन, लेकिन अभी तक नहीं हुआ सीटों का बंटवारा

उत्तर प्रदेश के चुनावी रणभूमि में इस बार समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के एक साथ मिलकर लड़ने की उम्मीदों को परवान देने की कवायद चल रही है। हालांकि दोनों गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं लेकिन अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है।

इस सिलसिले में रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मंगलवार को लखनऊ में मुलाकात की है और गठबंधन पर मंथन किया है।

Akhilesh met Jayant: अखिलेश ने किया ट्वीट- ‘जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर’

सपा प्रमुख अखिलेश ने रालोद मुखिया की फोटो को ट्वीट कर लिखा की जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर। उधर जयंत चौधरी ने भी फोटो को ट्वीट करते हुए लिखा कि बढ़ते कदम। हालांकि अभी आधिकारिक रूप से दोनों पार्टियों की ओर से कोई सूचना नहीं मिली है. सूत्रों की मानें तो गठबन्धन की बात कुछ आगे बढ़ी है।

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दरअसल सपा और रालोद के बीच मथुरा, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर आदि की कई विधानसभा सीटों पर मंथन चल रहा है। दोनों ही दलों के इन सीटों पर अपने-अपने दावे हैं। इन्हीं सब पर बात करने के लिए और गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए जयंत चौधरी लखनऊ पहुंचे हैं।

Akhilesh met Jayant: एक बार और हो सकती है मंथन पर चर्चा

सूत्रों की मानें तो जयंत और अखिलेश के बीच एक और दौर की बातचीत होगी। इसके बाद दोनों नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा के करीब आधा दर्जन नेता आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

Akhilesh met Jayant: चुनावी रण को लेकर फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं जयंत

रालोद के एक नेता ने बताया कि जयंत चौधरी अपना नफा- नुकसान देख कर ही कोई निर्णय लेंगे। क्योंकि चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पार्टी की बागडोर उन्ही के कंधों पर है। वह हर कदम बड़ा फूंक-फूंक रख रहे हैं।

अभी वर्तमान की राजनीतिक स्थिति को भी भांप रहे हैं, क्योंकि कृषि कानून वापसी के बाद सियासी परिदृश्य बदल रहा है। इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। जो निर्णय लिया जाएगा, बहुत सोच समझ कर लिया जाएगा।

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