26/11 हमलों का एक प्रमुख साजिशकर्ता अभी भी लापता

नई दिल्ली:  डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा के साथ मुंबई हमले के महत्वपूर्ण साजिशकर्ताओं में से एक अभी भी लापता है। 2008 में हुए मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हो गए थे।
लाहौर का एक पाकिस्तानी नागरिक साजिद मीर 26/11 हमलों के प्रमुख योजनाकारों में से एक था, जिसमें 6 अमेरिकी भी मारे गए थे।

साजिद मीर को कई उपनामों से जाता है, जिसमें इब्राहिम, वासी, खालिद, वाशी, वाशी भाई, भाई अली, अली भाई, मूसा भाई, वासी भाई, वासी इब्राहिम, साजिद मजीद, साजिद मीर, भाई मूसा, इब्राहिम शाह शामिल हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग ने साजिद मीर की गिरफ्तारी और दोषी ठहराए जाने की सूचना के लिए 50 लाख डॉलर तक का इनाम रखा है।
26 नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी नागरिकों का लश्कर-ए-तैयबा का आत्मघाती दस्ता चुपके से समुद्री मार्ग के माध्यम से मुंबई में घुसा और इसने होटल, कैफे और एक रेलवे स्टेशन पर एक दर्जन सिलसिलेवार तरीके से आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया।
साजिद मीर को अमेरिका में एफबीआई के मोस्ट वांटेड आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

एफबीआई फाइलों के अनुसार, मीर हमलों के मुख्य योजनाकार में से एक था और इसने हमले के लिए हुई तैयारियों का निर्देशन किया था और हमलों के दौरान यह पाकिस्तान स्थित नियंत्रकों में से एक था।

मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका के अलावा, वह डैनिश अखबार पर हुए हमले में डेविड हेडली और राणा के साथ शामिल रहा। अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के 12 कार्टून प्रकाशित किए थे, जिसके बाद इसका काफी विरोध हुआ और विश्वस्तर पर कई जगहों पर मुस्लिमों द्वारा हिंसक प्रदर्शन भी देखा गया।

हेडली, राणा और मीर ने 2008 से 2009 के बीच डेनमार्क में समाचार पत्रों के कर्मचारियों के खिलाफ आतंकी हमले की योजना बनाई थी।
एफबीआई के रिकॉर्ड के अनुसार, मीर को अमेरिकी जिला न्यायालय, इलिनोइस के उत्तरी जिले, पूर्वी डिवीजन, शिकागो, इलिनोइस में 21 अप्रैल 2011 को दोषी ठहराया गया था और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट अगले दिन जारी किया गया था।

विदेशी सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की साजिश के आरोप लगाने के साथ ही उसके खिलाफ आतंकवादियों को सामग्री समर्थन प्रदान करना; अमेरिका के बाहर एक नागरिक को मारना और सार्वजनिक स्थानों पर बमबारी करने जैसे आरोप भी लगे हैं।

भारत ने इस मामले में पाकिस्तान से लगातार सहयोग करने की अपील की है, मगर भारत के लगातार प्रयासों और अनुरोधों के बावजूद इस्लामाबाद इसे टालता रहा है।

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