6,830 करोड़ के पोंजी घोटाले में एग्री गोल्ड ग्रुप के 3 प्रमोटर गिरफ्तार

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने 6,380 करोड़ रुपये के पोंजी स्कीम घोटाला मामले में एग्री गोल्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज के तीन प्रमोटरों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अवा वेंकट रामाराव, अव्वा वेंकट शेषु नारायण राव, अव्वा हेमा सुंदर वरा प्रसाद के रूप में की गई है, जो ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ (पीएमएलए) की धाराओं के तहत मुख्य आरोपी हैं।

आरोपियों को ईडी पीएमएलए कोर्ट, हैदराबाद के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत दी। ईडी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में दर्ज कई एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया था।

एग्री गोल्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज के माध्यम से यह घोटाला अव्वा वेंकट रामाराव द्वारा किया गया था। अव्वा वेंकट रामाराव ने पहले गोल्डन फॉरेस्ट सीआईएस फ्रॉड स्कीम में काम किया था।

ईडी ने दावा किया कि उस योजना में व्यापार के गुर सीखने के बाद, उसने एक सुनियोजित साजिश रची और अपने सात भाइयों और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर 150 से अधिक कंपनियों की स्थापना की और विकसित प्लॉट/कृषि भूमि उपलब्ध कराने के वादे के साथ आम जनता से डिपॉजिट कलेक्ट करना शुरू किया।

कहा गया है कि हजारों कमीशन एजेंट लोगों को मोटी कमीशन के लिए विभिन्न योजनाओं का लालच देने में लगे हुए थे और ऐसे 32,02,628 निवेशकों से 6,380 करोड़ रुपये एकत्र करने में सफल रहे।

अंत में, भोले-भाले निवेशकों को न तो प्लॉट मिले और न ही उनकी जमा राशि की वसूली हो सकी। समूह ने देशभर से अवैध रूप से जमा राशि एकत्र की।
ईडी के अधिकारियों के अनुसार, कंपनी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के लाखों निवेशकों को ठगा।

ईडी ने एग्री गोल्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज ने आरबीआई से इस तरह के डिपॉजिट लेने की अनुमति नहीं ली थी।

यहां तक कि सेबी ने भी बताया है कि एग्री गोल्ड फार्म एस्टेट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का व्यवसाय सामूहिक निवेश योजना के अलावा कुछ नहीं था और कंपनी को आदेश दिया कि वह आगे जमा लेना बंद करे और जमाकर्ताओं को पैसा लौटाए।

ईडी ने कहा, “सेबी के निर्देशों का पालन करने के बजाय, आरोपी अव्वा वेंकट रामाराव ने नई कंपनियां खोलीं और कमीशन एजेंटों की फौज की मदद से रियल एस्टेट कारोबार के बहाने नई कंपनियों के नाम पर जमा करना शुरू किया। इस प्रकार, इसे एक पोंजी घोटाले में बदल दिया।”

अभियुक्तों ने हालांकि 32 लाख निवेशकों से जमा राशि एकत्र की, लेकिन उन्होंने सभी निवेशकों को भूखंड देने के लिए पर्याप्त भूमि विकसित नहीं की। यहां तक कि उनके असत्यापित दावों के अनुसार, अंत में उनके पास केवल 5.5 लाख भूखंड उपलब्ध थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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