बिहार में बाढ़ से 3 लाख आबादी प्रभावित

PATNA: बिहार (BIHAR) और नेपाल (NEPAL) के तराई क्षेत्रों में हो रही बारिश के बाद राज्य की सभी प्रमुख नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। राज्य के कई नए क्षेत्रों में बाढ़ (FLOOD) का पानी प्रवेश कर गया है। राज्य की कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे आठ जिलों की करीब तीन लाख की आबादी प्रभावित हुई है।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। इधर, विपक्ष का आरोप है कि बाढ़ के नाम पर राहत ‘रामभरोसे’ और प्रभावित लोग ‘भगवान भरोसे’ हो गए हैं।

बिहार जल संसाधन विभाग के अनुसार, सोमवार को बागमती नदी सीतामढ़ी के ढेंग, सोनाखान, डूबाधार तथा कटौंझा और मुजफ्फरपुर के बेनीबाद और दरभंगा के हायाघाट में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी गंडक समस्तीपुर के रोसरा रेल पुल के पास खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

कोसी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है लेकिन गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कोसी का जलस्तर वीरपुर बैराज के पास सोमवार सुबह छह बजे 1.39 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे बढ़कर 1.41 लाख क्यूसेक हो गया। गंडक नदी का जलस्राव बाल्मीकिनगर बैराज के पास सुबह आठ बजे 2.06 लाख क्यूसेक था तथा इसके और बढ़ने का अनुमान है।

नदियों का जलस्तर बढ़ने से अभी बिहार के 8 जिले सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फपुर, गोपालगंज एवं पूर्वी चम्पारण के कुल 31 प्रखंडों की 153 पंचायतें आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं। सुपौल व दरभंगा में दो-दो और गोपालगंज में तीन राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने बिहार सरकार को कोरोना और बाढ़ दोनों में असफल बताया। उन्होंने कहा कि “बाढ़ के नाम पर राहत ‘रामभरोसे’ और प्रभावित लोग ‘भगवान भरोसे’ हो गए हैं।”

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में इच्छाशक्ति का अभाव होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जोड़तोड़ कर बनी सरकार में ना इच्छाशक्ति है और ना ही काम करने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि भले ही सरकार बाढ़ प्रभावितों को राहत देने की बात कर रही हो, लेकिन बाढ़ पीड़ित परेशान हैं और दाने-दाने को मोहताज हैं। उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि अगर सरकार नहीं सचेत हुई तो अभी और बदतर हालत होगी।

 

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